संक्षेपण का अर्थ (Meaning of Precis Writing)
''किसी लम्बी-चौड़ी बात को थोड़े में या संक्षेप में कहना ही संक्षेपण है। इसमें अप्रासांगिक, असम्बद्ध एवं अनावश्यक बातों को छोड़ कर मतलब की बात ग्रहण की जाती है और उसे अपने शब्दों में कह दिया जाता है। ''
संक्षेपण के लिए हिन्दी में कई शब्द प्रचलित हो गये हैं- 'संक्षेपीकरण', 'संक्षिप्तीकरण', 'संक्षिप्त लेख', 'संक्षिप्त लेखन' और 'गौणलेखन' आदि। English में इसे 'प्रेसी' कहते हैं। यह शब्द फ्रेंच भाषा का है। English के व्यापक प्रभाव से हमारी 'हिन्दी' भी पूर्णरूप से प्रभावित हुई है। अतः संक्षेपण की पद्धती हमारे यहाँ भी चल पड़ी है।
प्रत्येक व्यक्ति प्रयत्न के विस्तार की अपेक्षा प्रयत्न लाघव (कमी) को विशेष महत्व देता। संक्षेपीकरण भी प्रयत्नलाघव का उदाहरण है। साररूप में किसी बड़े कथन, लम्बे व्याख्यान तथा बड़े एवं लम्बे-चौड़े पत्राचार की बातों को आवश्यकता के अनुकूल संक्षिप्त रूप देकर काम की बात को लिखना ही इसका उद्देश्य है।
संक्षेपण के नियम (Precis Writing Rules)
- जिस उद्धरण का संक्षेपण करना हो, उसे तबतक पढ़ते जाना चाहिए जबतक उसका भाव, पूर्ण रूप से स्पष्ट न हो जाए।
- आवश्यक बातों को रेखांकित करें।
- चमत्कारपूर्ण उक्तियों, लोकोत्तियों, उदाहरणों (examples), अलंकारों, पुनरावृत्तियों, अनावश्यक एवं असंगत बातों को छाँट देना चाहिए।
- प्रत्यक्ष कथन या संवाद की बातों को अपने शब्दों में कहना चाहिए।
- मूल बात की पकड़ रखनी चाहिए। अपनी ओर से कुछ नहीं कहना चाहिए।
- रेखांकित वाक्यों के आधार पर अपने शब्दों में एक कच्चा प्रारूप तैयार कर लेना चाहिए।
- विचार मूल संदर्भ के अनुकूल हो, पर अपनी भाषा में लिखना चाहिए। यदि कोई शब्द अर्थ-व्यंजन की दृष्टि से बहुत सहायक और आवश्यक प्रतीत हो तो उस ले लेना चाहिए।
- संक्षेपण सदैव अन्य पुरूष में लिखना चाहिए और उसी के अनुरूप क्रियाएँ होनी चाहिए।
- विचार का तारतम्य बना रहना चाहिए और मूल का पूरा भाव संक्षेपण में आ जाना चाहिए।
- मूल प्रकरण में यदि शीर्षक न भी रहे तो भी एक उचित शीर्षक दे देना चाहिए। इससे विषय समझने में बड़ी सुविधा होती है।
- अन्त में संक्षेपण में प्रयुक्त शब्दों की गिनती करके लिख देना चाहिए।
- पत्र व्यवहार में और संदर्भ में जहाँ किसी अधिकारी के नाम और पद दोनों दिये हों, वहाँ नाम हटाकर केवल पद का उल्लेख करना चाहिए।
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संक्षेपण के उदाहरण (Precis Writing Examples)
यहां संक्षेपण के 2 उदाहरण (precis examples) दिये जा रहे हैं। संक्षेपण में प्रयुक्त शब्द, मूल के एक-तिहाई से दो-चार अधिक या काम भी हो सकते हैं।
(1)
सामान्यतः संस्कृति और सभ्यता को एक ही वस्तु मान लिया जाता है। दोनों में निःसंदेह घनिष्ट सम्बन्ध है। उनकी एक-दूसरे पर प्रतिक्रिया होती है। सभ्यता भौतिक उन्नति का घोतक है। दूसरी ओर सुसंस्कृत मनुष्य की सभ्यता दूसरे से भिन्न है। सभ्यता मनुष्य की भौतिक आवश्यकताएँ पूर्ण करने के यत्न का परिणाम है, जबकि संस्कृति बौद्धीक उन्नती के प्रयत्नों से विकसित होती है। जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है संस्कृति मनुष्य के मन और आत्मा के सुसंस्कार या परिष्कार को कहते हैं। अतएव वह अन्तर्मुखी है। वह रूचि, दृष्टिकोण और आचार के द्वारा व्यक्त होती है। दूसरी ओर सभ्यता बहिर्मुखी और भौतिक है। वह उन भौतिक आयोजनों और साजसज्जा से सम्बन्ध रखती है, जिसको मनुष्य ने प्रकृति की शक्तियों पर विजय पाने के लिए और इस प्रकार मानव जीवन को सुविधापूर्ण तथा सुखमय बनाने के लिए विकसित किया है। उसमें आदिम मनुष्य के पत्थर के औजारों से लेकर आधुनिक स्पुतनिक तक शामिल है।
(शब्द संख्या 153)
सभ्यता और संस्कृति
प्रायः सभ्यता और संस्कृति को एक ही समझ लिया जाता है, लेकिन इनमें काफी अन्तर है। सभ्यता बाहरी वस्तु है और संस्कृति भीतरी। सभ्यता भैतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के प्रयास का परिणाम है और संस्कृति बौद्धीक विकास के लिए किये प्रयत्नों का फल।
(शब्द संख्या 44)
(2)
विज्ञान ने इधर थोड़े समय के भीतर न जाने कितने चमत्कार हमारे सामने उपस्थित किये हैं। उसकी शक्ति इतनी अमोध है कि अब उस पर आश्चर्य भी नहीं किया जा सकता। क्या इसके लिए मृत्यु अजय होगी? कहने का साहस नहीं होता। पर एक बात तो आज दिखाई पड़ती ही है। विज्ञान ने प्रयोगशाला में रत्न पैदा किये हैं। इससे स्वयं उसकी प्रतिष्ठा तो बढ़ती है, किन्तु रत्नों का भी गौरव अथवा मूल्य बढ़ा है, यह दिखाई नहीं पड़ता। विज्ञान ने मनुष्य को आसमान में उड़ाया है, समुद्र के गर्भ में घूमने-फिरने की शक्ति दी है, परन्तु इसका परिणाम ? वह कुछ बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं। विज्ञान की कृपा से हम नर-देहधारी कम-से-कम आज के दिन तो जलचर, नभचर और पशु के निकट अधिक हैं। हम जानते हैं, एक दिशा से उसने हमारा मृत्यु-भय भी दूर कर दिया।
(शब्द संख्या 137 )
वैज्ञानिक प्रगति के परिणाम
विज्ञान के चमत्कार ने मानव को हैरत में डाल दिया है। उसके लिए अब कुछ भी असम्भव प्रतीत नहीं होता है, लेकिन खेद है कि उसके अविष्कारों के परिणाम सुखद नहीं हैं। इनसे प्रकृति पर मनुष्य की सत्ता आरोपित की है किन्तु भौतिक उपलब्धियाँ ही सब कुछ नहीं।
(शब्द संख्या 48)
संक्षेपण की उपयोगिता (Importance of Hindi Precis)
अक्सर छात्र पूछा करते हैं कि संक्षेपण (precis writing in hindi) के अभ्यास से उन्हें क्या लाभ है? लाभ पर सभी टूटते हैं। अनुपयोगी वस्तुओं को कोई ग्रहण करना नहीं चाहता। संक्षेप में संक्षेपण से निम्नलिखित लाभ हैं।
लेखन में- लेखन में इससे बहुत मदद मिलती है। इसके अभ्यास से अपनी बात को सफाई, सफलता, और प्रभावकारी ढंग से कहने की सामार्थ्य बढ़ती है। विद्यार्थी प्रायः काम की बातें छोड़ बात प्रारम्भ में लिख डालते हैं। इस कमजोरी को दूर करने में यह अभ्यास सहायक सिद्ध होता है। इससे हम उपयुक्त शब्द चयन, कसावटपूर्ण वाक्य-गठन कर सकते हैं।
पठन-पाठन में- पठन-पाठन में भी इसकी उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है। असावधानी से पढ़ने से विषय का उलझा हुआ ज्ञान ही हो पाता है। हम जो भी पढ़ें उसके मूल आश्य को लिखने का अभ्यास करें। ऐसी आदत डालने से विषय की धारणा स्पष्ट हो जाती है। संक्षिप्त लेखन हमें ध्यानपूर्वक पढ़ने और विषय-वस्तु को समझने में सहायता करता है। ध्यान केन्द्रित करके पढ़ने की क्षमता इससे आती है।
व्यवहार में- व्यावहारिक जीवन में भी उसका बड़ा मूल्य है। थोड़े शब्दों में यदि हम विचारों को सफाई और सादगी से व्यक्त करने में समर्थ हो गये तो अपने सम्पर्क में आनेवालों पर स्थायी छाप छोड़ सकते हैं। बड़े-बड़े लेखकों, वक्ताओं, साहित्यकारों की सफलता की यही कुँजी है। हमें इससे शब्दों की मितव्ययिता की शिक्षा मिलती है। संक्षिप्तता आज की युग की माँग है। उस कला से समय की बचत होती है।
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संक्षेप में हम कह सकते हैं कि संक्षेपण के अभ्यास से समय और श्रम की रक्षा होती है। मूल संदर्भ से आवश्यक और काम की बातें छाँटने की योग्यता बढ़ती है। कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक बातों एवं तथ्यों को व्यक्त करने की क्षमता प्राप्त होती है। इस कला से
'गागर में सागर' भरने का गुण लेखक एवं वक्ता को प्राप्त होता है।