हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय ग्रंथ रामचरितमानस को अर्थ सहित डाउनलोड कर पढ़े। आप इसके साथ सुंदरकांड पाठ हिंदी PDF भी पढ़ सकते है। गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित Ramcharitmanas PDF को नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड करें-
आप सभी काण्डों को अलग-अलग डाउनलोड कर भी पढ़ सकते है-
रामचरितमानस गीता प्रेस गोरखपुर ही क्यों पढ़ना चाहिए?
हमें गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित रामचरितमानस का संस्करण ही इसलिए पढ़ना चाहिए, क्योंकि गीता प्रेस को हिंदू धर्मग्रंथों, जिसमें रामचरितमानस भी शामिल है, के प्रामाणिक और सटीक संस्करण प्रकाशित करने के लिए लंबे समय से विश्व भर में प्रतिष्ठा प्राप्त है। गीता प्रेस ने रामचरितमानस के मूल पाठ को अर्थ सहित प्रकाशित किया है, जिसका अनुवाद हनुमान प्रसाद पोद्दार जैसे विद्वान द्वारा किया गया है।
श्री रामचरितमानस: एक अद्भुत ग्रंथ
मैंने जब माँ भारती के पावन मंदिर में पूजा का थाल हाथ में उठाया, धूप-चंदन और पत्र-पुष्पों से लदे-झुके मणी पुत्रों को जाते हुए इस एकांत पगडंडी पर खड़े होकर देखा है, जब-जब उनके पूजा-पाठों से भरी साम्रगी को देखने-परखने की चेष्टा की है, तब-तब हौले-हौले यही प्रश्न मन के किसी एकांत कोने में पूछ बैठा हूँ - "कौन-सा साधक पसंद आया? किसका श्रद्धा सुमन मन को भाया? किसने तेरे अंदर के कोमल तारों को झंकृत किया?" हर बार एक ही उत्तर मिलता है- तुलसीदास द्वारा रचित 'रामचरितमानस'।
Ramcharitmanas संसार के प्रसिद्ध ग्रन्थों में से एक है। सम्भवतः ही कोई ऐसा हिन्दु घर हो जहाँ रामचरितमानस न हो। बड़े-से-बड़े महलों से लेकर गरीब की झोपड़ी तक इसके प्रति आदर एवं श्रद्धा प्रकट की जाती है। कुछ व्यक्ति धार्मिक दृष्टि से तो कुछ ऐतिहासिक दृष्टि से तो अन्य राजनैतिक दृष्टि से इसका अध्ययन-मनन करते हैं।
इस ग्रंथ की रचना ऐसे समय में हुई थी जबकि हिन्दू जनता अपना समस्त शौर्य एवं पराक्रम खो चुकी थी। विदेशियों के चरण भारत में जम चुके थे। वह समय दो विरोधी संस्कृतियों, साधनाओं और सभ्यताओं का संधिकाल था। ऐसे ही काल में युग-प्रवर्तक, उच्च कोटि के भक्त कवि तुलसीदास का प्रादुर्भाव हुआ। लोकचेतना के शक्तिशाली तत्वों की उन्हें अद्भुत पहचान थी। राम के लोकोत्तर चरित्र के अजर-अमर गायक रस-सिद्ध किया, वहीं समाज, जाति और राष्ट्र के प्राणों में नव-जागरण की चेतना के स्वर फूँके।
'रामचरितमानस' मुझे क्यों सर्वप्रिय है? इसके कई कारण हैं। रामचरितमानस का कथा-शिल्प अत्यन्त सूझ-बूझ से युक्त है। इसमें मार्यादा पुरूषोत्तम भगवान् राम के पावन एवं लोकरक्षक चरित्र का विशद् वर्णन हुआ है। सच तो यह है कि मानव जीवन के विविध पहलुओं एवं भावनाओं का जितना सुन्दर वर्णन हमें इस ग्रन्थ में मिलता है, उतना किसी अन्य महाकाव्य में नहीं मिलता।
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'रामचरितमानस' एक सफल महाकाव्य है। भगवान् राम 'मानस' के धीरोदात्त नायक हैं। वे परब्रह्म होते हुए भी इस ग्रंथ में एक गृहस्थ के रूप में आते हैं। वे सर्वत्र आदर्श की रक्षा करते हैं। इस काव्य के चरित्रों के माध्यम से तुलसीदास ने समाज को ऐसे मानवीय मूल्य दिए हैं जो देश और काल की सीमा से परे हैं। मानव हृदय की जिस सुदृढ़ भूमि पर रामचरितमानस का भव्य प्रासाद खड़ा है, वह वास्तव में सनातन एवं सार्वभौमिक है।
श्रीरामचरितमानस की 'संवाद-शैली' मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका आरंभ संवादों से होता है, मध्य भी और अंत भी। कथा के आधारभूत संवाद हैं- 'शिव-पार्वती संवाद', 'गरूड़-काकभुशुण्डि संवाद', और 'याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद'। इनके अतिरिक्त 'लक्ष्मण-परशुराम संवाद', 'रावण-अंगद संवाद' आदि भी प्रभावशाली बन पड़े हैं। तुलसीदास जी ने मार्मिक स्थलों का चुनाव बड़ी कुशलतापूर्वक किया है।
'राम-वनवास', 'भरत-मिलाप', 'सीताहरण', 'लक्ष्मण-मूर्च्छा' आदि प्रसंगों को मार्मिक बना दिया गया है।
इस ग्रंथ में तुलसीदास जी ने मर्यादा पुरूषोत्तम राम को अवतारी रूप में अपना आराध्य मानकर उनका चरितगान किया है। उन्होंने अपने समय की प्रचलित सभी काव्य-शैलियों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है। 'मानस' का शिल्प बेजोड़ है। मानस में सात कांड हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्थाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड। तुलसीदास ने इस महाकाव्य में अवधी भाषा का प्रयोग कर सर्वसाधारण के लिए रास्ता सुगम कर दिया। दोहा-चौपाई शैली का प्रयोग किया गया है।
श्रीरामचरितमानस के माध्यम से तुलसीदास जी ने अपनी समन्वयवादी दृष्टि का परिचय दिया है। तुलसीदास जी ने यद्यपि अपने काव्य को 'स्वान्तः सुखाय' कहा है, पर तुलसी जैसे लोकचिन्तक महात्मा का अपना निजी सुख हो ही क्या सकता था? उनका सुख-दुःख भी पराया ही था। हिन्दू धर्म, हिन्दू जाति और हिन्दू संस्कृति का जितना उपकार 'रामचरितमानस' ने किया है, संभवतः किसी दूसरी साहित्यिक-कृति ने नहीं किया। वास्तव में इस ग्रंथ की जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी ही थोड़ी होगी। जीवन की कोई ऐसी समस्या नहीं, मन की कोई ऐसी उलझन नहीं जिसका समाधान इस महाकाव्य में न मिल सके।
श्री रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ है और ऐसा माना जाता है कि इसे पढ़ने से पाठक को कई लाभ मिलते हैं। यहां कुछ कारण बताए गए हैं कि हमें श्री रामचरितमानस क्यों पढ़ना चाहिए:
- आध्यात्मिक उत्थान: श्री रामचरितमानस एक गहन आध्यात्मिक ग्रंथ है और ऐसा माना जाता है कि इसे पढ़ने से मन और आत्मा को शुद्ध करने में मदद मिलती है। पाठ कहानियों और शिक्षाओं से भरा है जो पाठकों को उनकी आंतरिक दिव्यता से जुड़ने और अधिक आध्यात्मिक जीवन जीने में मदद कर सकता है।
- सांस्कृतिक संवर्धन: श्री रामचरितमानस हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह हिंदू इतिहास, पौराणिक कथाओं और मूल्यों के बारे में जानने का एक शानदार तरीका है। श्री रामचरितमानस को पढ़कर पाठक अपनी संस्कृति और विरासत की गहरी समझ प्राप्त कर सकते हैं।
- नैतिक मार्गदर्शन: श्री रामचरितमानस नैतिक मार्गदर्शन का भी एक बड़ा स्रोत है। यह पाठ सत्यता, करुणा और धार्मिकता जैसे कई महत्वपूर्ण मूल्य सिखाता है। श्री रामचरितमानस को पढ़कर पाठक अधिक नैतिक और सदाचारी जीवन जीना सीख सकते हैं।
आशा है आपको ऊपर दिए गए संपूर्ण Ramcharitmanas के PDF को डाउनलोड करने में कोई परेशानी नहीं आई होगी। मित्रों, कुल मिलाकर श्री रामचरितमानस एक बहुमूल्य ग्रन्थ है जो पाठक को अनेक लाभ प्रदान कर सकता है। चाहे आप आजीवन हिंदू हों या केवल हिंदू संस्कृति के बारे में अधिक जानने में रुचि रखते हों, श्री रामचरितमानस एक ऐसा पाठ है जिसे आप मिस नहीं करना चाहेंगे।