माँ दुर्गा इस लोक में धर्म को विजयी बनाने वाली शक्ति का प्रतीक हैं। दुर्गा शब्द बना है संस्कृत के 'दुर्ग' शब्द से, जिसका मतलब होता है ऐसा सुरक्षित किला जहाँ किसी का भी पहुँचना पूरी तरह मुश्किल हो। इन्हें लोग जन्मदात्री भी कहते हैं, जो मन के दुष्ट विचारों और शक्तियों को मिटाकर मानव जाति को राक्षसी शक्तियों से बचाती हैं। पहली बार माँ दुर्गा का जन्म दक्ष प्रजापति की बेटी 'सती' के रूप में हुआ था। दूसरी बार उन्होंने देवी पार्वती बनकर पुनर्जन्म लिया। इनकी दस भुजाएँ भगवान विष्णु के 9 अवतारों की संगठित शक्ति का प्रतीक हैं। यहां नीचे ऐसी ही देवी की Shri Durga Chalisa PDF in Hindi को डाउनलोड के लिए दिया गया है-
Durga Chalisa PDF | दुर्गा चालीसा
यह अखिल ब्रह्मांड की प्रसूतिका दुर्गा ही समस्त विश्व में व्याप्त हैं। पापी एवं दुष्ट राक्षसों का विनाश करना इनकी मनोवृत्ति है। जो भी भक्त इनकी पूजा-अर्चना में सदैव लगा रहता है, ये उसका कल्याण निःसंदेह करती हैं। दुर्गा देवी का मुख्य कार्य अपने भक्तों की समस्त बाधाओं को दूर कर उनका कल्याण करना ही है।
दोस्तों, दुर्गा चालीसा की तरह माँ दुर्गा का श्री दुर्गा सप्तशती पाठ भी बहुत लाभकारी है। आप इसे भी इस लिंक-
Durga Saptashati Path PDF पर जाकर डाउनलोड करके अवश्य पढ़ें।
आज के इस कलयुग में दुर्गा प्रत्यक्ष एवं प्रधान देवी के रूप में विद्यमान हैं। विशेष रूप से उनकी पूजा के लिए चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र माने गए हैं। किंतु माँ दुर्गा का पूजन किसी भी समय किया जा सकता है। क्योंकि अपने साधक के पूजन-अर्चन से प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करना इस देवी की विशेषता है।
दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करें?
प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ सूती वस्त्र धारण करें। फिर लकड़ी के चौकोर पटरे पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर दुर्गा जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। आप स्वयं कुश या ऊन के आसन पर बैठें। फिर सिंदूर, लाल फूल, दीप, धूप आदि से पूजन करें। यथाशक्ति हलुआ, चना या कच्चे दूध और खोये की मिठाई का भोग लगाएँ। फिर भगवती की पूजा करते हुए लाल पुष्प हाथ में लेकर यह श्लोक पढ़ें-
इसके बाद श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करें। फिर कपूर जलाकर आरती गाते हुए माता दुर्गा जी की आरती उतारें। अंत में, माता दुर्गा जी को प्रणाम करें।
अगर आपकी इच्छा हो तो पाठ के अंत में "ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम:" मंत्र का जप करें। इस मंत्र को लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से एक माला (108) बार जप करना विशेष शीघ्र फलदायी होता है।
दुर्गा चालीसा पाठ करने के फायदे
देवी भगवती की चालीसा का पाठ लोग विशेष रूप से इसलिए करते हैं कि वे अपने जीवन के दुखों और परेशानियों से मुक्ति पा सकें तथा माँ दुर्गा का आशीर्वाद सदा बनी रहे। इसके अतिरिक्त, प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी मानसिक परेशानी से गुजर रहा है, ऐसे में दुर्गा चालीसा का प्रतिदिन पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान प्रदान करता है।
- माँ भगवती के चालीसा का पाठ करने से आप उन लोगों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, जो आपको नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
- इस पाठ का प्रतिदिन मन से जाप करने से आपके आत्मविश्वास यानी self-confidence में बहुत वृद्धि होती है और आपको सभी महत्वपूर्ण एवं बड़े कामों में सफलता मिलती है।
- इसके पाठ से आपके परिवार को नकारात्मक एवं बुरी शक्तियों से निजात मिलता है।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपकी आर्थिक स्थिति हमेशा मजबूत बनी रहती है तथा जब कभी इसके बिगड़ने की स्थिति आती है आप उसे आसानी से संभाल लेते है।
- ऐसा माना जाता है कि अगर आप दुर्गा चालीसा का नियमित रूप से 101 बार पाठ करते है तो आप अपना खोया हुआ सम्मान और धन-दौलत आसानी से प्राप्त कर सकते है।
मार्कण्डेय पुराण में आदि शक्ति रूप जगत की माता महामाया के चरित्र का वर्णन किया गया है। साधारणतः हमारे धर्म ग्रंथों में धर्माचार्यों ने सूर्य आदि पंच देवताओं का ही पूजन बताया है। किंतु अत्यंत महाबली भगवती दुर्गा से बढ़कर कोई दूसरा नहीं है।
इसी कारण उन्हीं की विभूति से ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शक्तिमान हैं। यह ठीक भी लगता है क्योंकि बिना शक्ति के किसी को शक्तिमान नहीं कहा जा सकता। यही कारण है कि जिन देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है, उनमें सबसे पहला स्थान इन्हीं का दिखाई देता है। खासकर कलयुग में यही एक संसारसागर पार करने की नौका है। कहा भी गया है, 'कलयुग में केवल चंडी (महामाया) और विनायक (गणेश) ही देवता हैं।' इससे यह निश्चित हुआ कि बिना महामाया की शरण लिए हम आत्मदर्शन नहीं कर सकते और सहज ही अपनी चाही हुई वस्तुओं को प्राप्त कर सकते हैं। हम उसका क्या वर्णन करें? उसकी महिमा अनंत है और उसका वर्णन हमारे वचन, मन और इंद्रियों से परे है।
दुर्गा चालीसा का यह पाठ मनुष्य जाति के लिए साक्षात कल्पवृक्ष के समान है और इसी कारण सभी प्रकार का कल्याण प्रदान करता है। इसकी छाया में शरण लेने से भक्ति और मुक्ति दोनों ही हमारे लिए सहज हो जाती हैं। यदि हम मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर अनन्य भाव से भगवती के चरणों का आश्रय लें, तो फिर कभी अपने सेवाभाव से विचलित नहीं होंगे।
श्रीमद्देवीभागवत में देवी को आद्या शक्ति बतलाकर ब्रह्मा, विष्णु और शिव का देवी से ही आविर्भाव और तिरोभाव बताया गया है। भारतवर्ष में शक्ति पूजा अनादि काल से होती चली आ रही है। शक्ति के दो रूप हैं - वैभाविक और स्वाभाविक। पूर्व रूप में यह महामाया है, अति भयंकर है और मोहित करने वाली है। दूसरा रूप स्वाधीन, पूर्ण व्यक्त व शुद्ध स्वरूप है। यदि शक्ति के रूप में माता दुर्गा को ही लिया जाए, तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि समस्त शक्तियों का प्रादुर्भाव इन्हीं से हुआ है। वैसे भी दुर्गा ही इस ब्रह्मांड की आधारभूत शक्ति है।
मित्रों, ऊपर आपने जिस देवी की श्री दुर्गा चालीसा की PDF डाउनलोड करके पढ़ी है, वह इस ब्रह्मांड की आधारभूत शक्ति हैं। यदि ऊपर दी गई दुर्गा चालीसा में कोई त्रुटि हो गई हो तो, कृपया हमें अवगत कराएँ।