इस लोक में शक्ति के अभाव में देवता भी एक मृत शरीर के समान होते है। यही कारण है कि इस दुनिया की हर संस्कृति या सभ्यता में शक्ति की पूजा व आराधना किसी न किसी विधि से जरूर की जाती है। हमारे देश की संस्कृति में नारी को जन्मदात्री व जननी के रूप में पूजा गया है। जन्म देने वाली जननी करुणा का साक्षात मूर्त रूप होती है, अपनी संतान के सुखों का वह सरलता से ध्यान रखती है और उसकी संतान पर किसी तरह की कोई कठिनाई आती है तब उसका रूप भयानक हो जाता है। 'मां' इस एक शब्द को बोलना मात्र समस्त समस्याओं को खत्म करने वाला है। 'दुर्गा' समस्त दुर्गतियों को नष्ट करती है। यहाँ दिये गये लिंक पर क्लिक करके संपूर्ण
Durga Saptashati PDF डाउनलोड करें -
DOWNLOAD PDF
इस ग्रंथ का पाठ करने से देवी के भक्तों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। एक कथा के रूप में दिखने वाला यह ग्रंथ अपने प्रत्येक पृष्ठ पर तंत्र सम्मत गुह्य बीज मंत्रों को समेटे है। यह पवित्र ग्रंथ मार्कण्डेय
पुराण का एक महत्वूर्ण भाग है। संस्कृत में सप्तशती के पाठ का एक विशेष स्थान है। भगवती का यह सप्तशती ग्रंथ शुद्ध संस्कृत और हिंदी में है, इसलिए इसके पाठ में भावना का भी महत्व है।
Durga Saptashati से जुड़े PDF -
इस पाठ से भगवती दुर्गा के चरित्र का पाठ करने से स्फुरित होने वाली भावना फलदायी होगी। फिर भी ई-बुक में प्रयास किया गया है कि अध्यायों के प्रारंभ में दिए गए मंत्रों का उच्चारण कर आपको धर्म लाभ हो। दुर्गा मंत्रों से संबंधित संक्षिप्त जानकारी भी इसमें दिया गया है, ताकि पाठ करते समय आपके मन में किसी प्रकार का कोई संशय न रहे।
दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करें? | Shree Saptashati Path
अपना शुद्ध भोजन एवं सात्विक आचरण करते हुए प्रातः व सायं कभी भी स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र धारण करने के बाद शुद्ध बर्तन में थोड़ा-सा जल लेकर तीर्थ में, मंदिर में, घर के पूजा स्थान में अथवा कहीं एकांत स्थान में जल के छींटे देकर आसन शुद्धि पूर्वक अपने आसन पर बैठ जाएँ। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए अपने ऊपर जल के छींटे दें। इसके बाद तीन बार अपने मुख के अंदर जल के छींटे मारें। संभव हो तो दीपक जलाकर रख लें।
इसे बाद गौरीगणेश, वरुण एवं सूर्य आदि नवग्रहों को मन में प्रणाम करें फिर भगवती दुर्गा की मूर्ति अथवा चित्र के ऊपर धूप, दीप, फूल माला, फल एवं मिठाई आदि से भक्ति भावना पूर्वक पूजा करें। इसके बाद मन एकाग्र करके भगवती दुर्गा का ध्यान करके उन्हें श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करें।
इसके बाद पाठ प्रारंभ करें, कवच, अर्गला, कीलक, रात्रि सूक्ति का पाठ करते हुए क्रमशः तेरह अध्यायों का पाठ करें। बाद में देवी सूक्ति एवं रहस्य त्रय पढ़ें अंत में आरती एवं क्षमा प्रार्थना करें। यह संपूर्ण पाठ की विधि है।
यदि इतना संभव न हो तो केवल कवच एवं मध्यम चरित्र अर्थात दूसरा, तीसरा, चौथा अध्याय का भी पाठ किया जा सकता है। इतनी सावधानी रखनी चाहिए कि अध्याय पढ़ते समय बीच में बोले नहीं यदि बोलना पड़े तो उस अध्याय का पाठ फिर से करना चाहिए। इस प्रकार के पाठ करने से भगवती माता भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
इस विधि से
दुर्गा सप्तशती को दस बार पढ़ा जाए तो दस चंडी यज्ञ, सौ बार पढ़ा जाए तो शत (सौ) चंडी यज्ञ, हजार बार पढ़ा जाए तो सहस्त्र (हजार) चंडी यज्ञ एवं एक लाख पाठ किए जाए तो लक्ष (लाख) चंडी यज्ञ माना जाता है। जिस प्रकार बड़ी-बड़ी यज्ञों में कई ब्राह्मण पाठ करके यह संख्या पूरी करते हैं ठीक इसी प्रकार के कुछ भक्त लोग मिलकर भी यह संख्या पूरी कर सकते हैं।
दुर्गा सप्तशती की मुख्य पुस्तक संस्कृत भाषा में होने के कारण पहले ऐसी यज्ञें संस्कृत के पढ़-लिखे लोग ही कर सकते थे परंतु आज हिंदी भाषा में आपकी सुविधा के लिए प्रमाणित रूप से उपलब्ध है।
विवाह, विशेष कार्यक्रमों आदि मौकों पर संगीत के साथ से भी यह पाठ किया जा सकता है। अधिक से अधिक लोगों को एकत्रित कर सामूहिक रूप में पाठ करने का अधिक फल है।
पाठ संपूर्ण करने के बाद हवन करना चाहिए हवन सामग्री की जगह गाय के दूध की खीर, घी और तिल मिश्रित करके
'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे स्वाहा' इस मंत्र से नव माला जप करते हुए हवन करना चाहिए; बाद में गरी के गोले से पूर्णाहुति प्रदान करनी चाहिए। हवन के बाद कन्या भोजन का विशेष महत्व होता है; संभव हो तो ब्राह्मण कन्याएँ आमंत्रित करें। मुकदमा या युद्ध में विजय के लिए क्षत्रिय एवं धन का विकास करने के लिये वैश्य, शेष समस्त सुखों के लिये शूद्र वंश की कन्याओं का पूजन करना चाहिए।
अंततः
दुर्गा सप्तशती केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक गहन आध्यात्मिक यात्रा है जो हमें अपने भीतर की दिव्य स्त्री शक्ति को खोजने और उससे जुड़ने का मार्ग दिखाती है। इसके प्रत्येक श्लोक हमें भक्ति, साहस और मातृत्व के असीम प्रेम की ओर अग्रसर करता है। इस पवित्र ग्रंथ का पाठ हमारे जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा लाता है।