दोस्तों, यदि आपके जीवन में निरंतर कठिनाइयां आ रही है तो आपको हनुमानलला की आरती और
श्री हनुमान चालीसा PDF का पाठ अवश्य करना चाहिए। हनुमान जी की पूजा की समाप्ति के अंत में आरती करने से प्रतिकूल परिस्थितियां आपके पक्ष में हो जाती हैं तथा नकारात्मक शक्तियां सदैव के लिए आपसे दूर हो जाती हैं तथा आपके सभी शुभ कार्य पूर्ण होने लगते हैं। सनातन धर्म में पूजा-पाठ की बहुत ही अहमियत एवं महिमा है, माना जाता है कि पूजा-अर्चना से मनुष्य के चंचल मन को शांति प्राप्त होती हैं। हनुमान जी की आरती करने से हमारे अंतः मन में सकारात्मक एवं शुभ विचार आना शुरू हो जाते हैं। आप Hanuman Aarti PDF नीचे दिये गये आरती के lyrics के अंत में दिये गये download बटन पर क्लिक कर download कर सकते है..
Hanuman Aarti PDF Lyrics | हनुमान जी की आरती
आपने जिस प्रकार ऊपर Hanuman Aarti in Hindi PDF को पढ़ने के लिए download किया उसी प्रकार आप
Sunderkand को PDF में download कर पढ़ सकते है। महाबली हनुमान को खुश करने के लिए श्री सुन्दरकाण्ड का पाठ सबसे प्रभावकारी एवं सटीक माना गया है।
हनुमान आरती सही विधि से कैसे करें? | Hanuman Aarti Hindi PDF
ज्यादातर लोग संकठमोचन श्री हनुमान जी की आरती ठीक ढंग से नहीं करते हैं। नीचे हम आपको श्री हनुमान जी आरती का उचित ढंग बता रहे हैं -
- आरती से पूर्व पूजा-पाठ अवश्य करें - अगर आप हनुमान जी की आरती करना चाहते है तो उससे पूर्व उनकी पूजा अनिवार्य रूप से पूरी श्रद्धा भाव से करें।
- संकठमोचन हनुमान जी की आरती जरूर करें - पूजा-पाठ के नियमानुसार श्री हनुमान जी की आरती के बिना उनकी पूजा समाप्त या पूर्ण नहीं मानी जाती। आरती के पश्चात यदि आप चाहे तो श्रद्धा भाव के साथ मंत्रों का जाप कर सकते हैं या भजन भी गा सकते है।
- शुद्ध कपूर या दीपक का ही उपयोग करें - हनुमान आरती के वक्त आरती की थाली में शुद्ध कपूर या घी के दीपक का इस्तेमाल करें।
- पंचमुखी दीपक का ही प्रयोग करें - यदि आप हनुमान आरती दीपक से ही करना चाहते है तो सदैव पांच मुख वाले पंचमुखी दीपक का ही उपयोग करें।
- कुमकुम का उपयोग अवश्य करें - ऐसी मान्यता है कि श्री हनुमान जी को कुमकुम बहुत पसंद है; इसलिए पूजा की थाली में हमेशा फूल और कुमकुम जरूर रखें।
- घड़ी की सुई कि दिशा की तरफ करें आरती - सदैव किसी भी देवी-देवता कि आरती घड़ी की सुईयों कि दिशा कि ओर ही करनी चाहिए; घड़ी की सुईयों कि विपरीत दिशा में श्री हनुमान जी कि आरती करना अच्छा नहीं माना जाता।
- ऐसे घुमाये आरती की थाली - हनुमान आरती के वक्त दीपक को 4 बार हनुमान जी के चरणों में, नाभि के समीप 2 बार, हनुमान जी के चेहरे के आगे 1 बार और अंत में सारे शरीर पर 7 बार आरती का दीपक घुमाना चाहिए।
महाबली हनुमान के वो गुण जिससे आप अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते है | Hanuman Aarti PDF in Hindi
श्री हनुमान का व्यक्तित्व महिमा और गरिमा से मंडित है। वह अनन्य भक्त निःस्वार्थ सेवक, निष्काम कर्मयोगी, महान बलशाली, अप्रतिम योद्धा, निर्भय मन वाले, ज्ञानी, बुद्धिमान, धीमान विद्वान, धैर्यवान, महामना महात्मा और दिव्य शक्तियों से युक्त हैं। कामना, लालसा, लोभ और आसक्ति से वह सर्वथा परे हैं।
अहंकार यानी अधिक महत्वपूर्ण होने की इच्छा उन्हें छू भी नहीं सकी है। सृष्टि में ऐसा कोई नहीं है जो कभी अहंकार ग्रस्त न हुआ हो। श्री हनुमान ऐसे देवता हैं जिन्हें कभी अहंकार नहीं हुआ। समुद्रलंघन, सीता माता की खोज, लंकादहन, जड़ी बूटी के लिए द्रोणाचल पर्वत को उखाड़कर लाना जैसे अद्भुत, आश्चर्यजनक और दिव्य कार्यों का संपादन करके भी श्री हनुमान विनम्र और विनीत बने रहे।
सद्गुणों में प्रथम और प्रमुख अभय (daunt-lessness) है। अभय समस्त गुणों का आधार है। वस्तुतः दैवी मार्ग का आश्रय लेने के लिये भय का परित्याग कर देना चाहियें। पूर्णतः भयमुक्त पुरुष तो ब्रम्ह ही हो जाता है। शास़्त्र कहते हैं - अभय निर्भय व्यक्ति ब्रम्ह हो जाता है। सर्वशक्तिमान सर्वत्र विद्यमान भगवान की शरण में जाकर मनुष्य अभय हो जाता है।
मनुष्य के अन्तः करण, मन, बुद्धी और चित्त को घृणा, कपट, कटुता, क्रोध, प्रतिशोध, इत्यादि विकार दूषित और दुर्बल कर देते हैं। चित्त के शुद्ध और प्रबुद्ध होने पर ही मनुष्य को अभय, शांति और स्थिरता का अनुभव हो सकता है। श्री हनुमान का अन्तः करण भगवान की अनन्य भक्ति के कारण सर्वथा शुद्ध और निर्मल हो चुका था। वह निष्काम कर्मयोगी और निष्कपट सेवक थे।
श्री हनुमान ज्ञानियों में सबसे प्रमुख हैं। वह असार संसार की भौतिक वस्तुओं में आसक्ति न रखकर महाप्रभु को ही सर्वस्व समझते हैं। श्री राम के परम्ब्रम्हत्व में उनकी दृढ़ निष्ठा है। वह निष्काम कर्मयोगी, ज्ञानयोगी तथा भक्तियोगी तीनों ही हैं। उनका अन्तःकरण ज्ञान योग में पूर्णतः प्रतिष्ठित और व्यवस्थित है।
दैवीगुणों से समृद्ध श्री हनुमान की आराधना करने से मनुष्य में सद्गुणों का उदय होता है। अतः यदि श्री हनुमान का स्मरण, चिन्तन, दर्शन और पूजन किया जाय तो निश्चय ही उनके आधिदैविक और आध्यात्मिक गुणों का प्रभाव पड़ेगा।
श्री हनुमान अनूठे और आध्यात्मिक व्यक्तित्व के देवता हैं। श्री हनुमान का चिंतन, मनन और स्मरण करने से हमें ब्रह्मचर्य पालन, चरित्र-नैतिकता, निःस्वार्थ सेवा, निष्काम-कर्म, अथक परिश्रम, अहंकार से मुक्ति, आध्यात्मिक अनुभूति तथा महाप्रभु के प्रति सर्वात्म भाव से समर्पण करने की अभिप्रेरणा प्राप्त होगी। निःस्वार्थ सेवा और निष्काम कर्म का अभ्यास हो जाने पर हम क्षुद्र और संकीर्ण भावों से ऊपर उठ जाएंगे तथा टकराव और संघर्ष के दृष्टिकोण का परित्याग करके शांति सद्भाव प्रेम मैत्री और भाईचारे से जीना प्रारंभ करेंगे।
श्री हनुमान शांति, सद्भाव, भाईचारे और मैत्री के अग्रदूत थे। उन्होंने सुग्रीव और श्री राम में मैत्री करायी। विभीषण को श्री राम से मिलाया, रावण को राम से मैत्री की शिक्षा दी जिसे न मानने से रावण का सर्वनाश हो गया। मूर्छित लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाकर उन्हें स्वस्थ कराया। राम-रावण युद्ध में वीरता और साहस से युद्ध कर अन्याय और अत्याचार का दमन करने में सहायता की।
युवकों में चरित्र, नैतिकता, उत्साह, साहस, कर्तव्यपालन और निष्ठा की बहुत आवश्यकता है। युवक देश के भावी कर्णधार होते हैं। उनका शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास होना अत्यावश्यक है। श्री हनुमान की आराधना और उपासना करने से उनको, उनके गुणों व चरित्र का अनुकरण करने की प्रेरणा मिलेगी। वे निर्भय और निडर होंगे। उनके अंदर देश के प्रति वफादारी और प्रेम का उदय होगा तथा वे अन्याय, अत्याचार और अनाचार का उन्मूलन करने के लिये कटिबद्ध होंगे।
श्री हनुमान मंगलमूर्ति तथा कल्याण के साकार रूप हैं। वह हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर्य से दूर करके महाप्रभु की शरण में ले जाते हैं। हमें हमारे आत्मस्वरूप से परिचय कराकर ईश्वर के भजन में लगाते है जिससे हमें भगवत प्राप्ति हो सकती है। मगलमूर्ति मारूतिनंदन हम सबको मगल भवन अमंगलहारी महाप्रभु की और उन्मुख कर दें और हम सब में आध्यात्मिक चेतना जाग्रत हो।