शिरडी के साईं बाबा बहुत ही सीधे एवं सरल प्रवृत्ति के दिव्य पुरूष थे। उन्हें निश्छलता और सादगी के साथ जिंदगी व्यतीत करने वाले लोग बहुत पसंद आते थे। सनातन धर्म में हर गुरुवार को साईं बाबा की खास पूजा-अर्चना की जाती है। सप्ताह का यह एक दिन साईं भक्तों के लिए विशेष होता है। पूरे भक्तिभाव से साईं चालीसा एवं
Shri Sai Satcharitra का पाठ करने पर साईं बाबा अपने सेवक की मन की हर इच्छा पूर्ण करते हैं। शिरडी के साईं बाबा पर हर गुरुवार को पीले रंग के फूल, फल चढ़ाने तथा खिचड़ी का भोग लगाने से सभी परेशानियों का निवारण बहुत जल्द हो जाता है।
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साईं बाबा अपने सेवकों के सभी संकटों एवं दुखों को अपने पर लेकर उनकी जिंदगी को आनंद और उल्लास से भर देते हैं। यदि आप जीवन में स्थिरता और घर में शांति चाहते है तो हर गुरुवार साईं प्रतिमा के सामने बैठकर शांत मन से Sai Chalisa का पाठ अवश्य करें।
श्री साईं चालीसा | Shri Sai Chalisa Hindi Lyrics
अच्छी बातें (केवल पढ़ने के लिए) : कितने माता-पिता बच्चों को सत्संग में बैठते देखकर अच्छा नहीं मानते। उन्हें बच्चों को साधु हो जाने का आशंका या संत्रास समा जाता है। साधु होना कोई हंसी नहीं है। जितने कुमार सत्संग (spiritual discourse) में बैठते हैं, सब यति या महंत नहीं हो जाते। हर मनुष्य को धन, विद्या, पद, अधिकार तथा परिवार से भी अधिक आवश्यकता शुद्ध बुद्धि की है, और शुद्ध बुद्धि सत्संग से ही मिल सकती है। सत्संग से शुद्ध बुद्धि पाकर मनुष्य माता-पिता तथा परिवार के साथ उत्तम व्यवहार बरत सकता है। शुद्ध बुद्धि-रहित मनुष्य तो हर जगह अपने और दूसरे के लिए दुखदायी व कष्टदायक होगा।
यदि कोई साधु ही हो जाय तो व्याभिचारी, चोर, डाकू, मनमती, माता-पिता का विद्रोही होने की अपेक्षा अच्छा ही है। जिन प्रसिद्ध व्यक्ति के जीवन-दर्शन तथा वाणियों से संसार को प्रकाश मिलता है, वे संत भी किसी के बच्चे रहे होंगे। यदि कोई संत न होता तो समाज का पथ प्रकाशक कौन होता! यदि बच्चे शिक्षा-सत्संग का कृपा पाते और शारीरिक परिश्रम में विकास नहीं करते तो जीवन से बेकार और व्यर्थ हो जाते हैं, अतः इस ओर चलायमान करना माता-पिता का इनायत है।
माता-पिता केवल अपने इनायत (duties) का पालन करें। वे बच्चों से अपनी अधिकार-पूर्ति की कामना न करें। किसी से कुछ पाने की लालसा या उत्कंठा करना, इससे महत कोई पीड़ा नहीं है। दूसरे के प्रति अपना कार्य (duties) पालन करो; परन्तु दूसरों से अपनी अधिकार-पूर्ति की कामना न करो- यह मंत्र सबके लिए अत्यंत उपयोगी है।