एक समय श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदास की बाहु में असहाय पीड़ा हुई जो सारे देह में व्याप्त गई। प्रेमियों ने बहुत उपचार किये, परन्तु पीड़ा मिटाने में वे सफल न हुए। यह रोग व कष्ट क्या है, किसी को कुछ विदित न हो रहा था। उन्होंने श्री हनुमान जी से रोग-निवृत्ति के लिये प्रार्थना की। सारा कुरोग श्री हनुमान जी की कृपा से विनष्ट हो गया। रोग छूटने पर इन स्तोत्रों को उन्होंने एकत्र कर दिया और हनुमान बाहुक नाम रखा। पिड़ा छूट गई; अतएव इस ग्रंथ का नाम यही पड़ा। लौकिक एवं पारलौकिक बाधाओं का शमन करने के वाले
Hanuman Bahuk in Hindi PDF को अर्थ सहित यहां से डाउनलोड करें -
DOWNLOAD PDF
अनगिनत श्रीहनुमानजी के अनुयायी लगातार इसका पाठ करते हैं और अपनी इच्छित मनोकामना प्राप्त करके खुश होते हैं। मुसीबत के वक्त तुरंत फल देने वाले इस बाहुक (
Sankatmochan Hanuman Ashtak) का दृढ़ विश्वास के साथ पाठ करना भगवान राम के भक्तों के लिए आनंददायक सिद्ध हुआ है।
संपूर्ण श्री हनुमान बाहुक | Shri Hanuman Bahuk Hindi Lyrics
कामना सिद्धि के लिए श्री हनुमान बाहुक का संपुट पाठ | Shri Hanuman Bahuk Path in Hindi
इस बाहुक का साधारण पाठ ही सब उत्कंठा की निपुणता के लिए पर्याप्त है। तथापि महात्माओं की सहमति है कि कठिन आकस्मिक आपत्तियों में संपुट पाठ करना उचित है। ग्रंथ के ही किसी एक पद का संपुट देना होता है। संपुट का विधान यह है कि प्रथम श्री हनुमान जी का षोडशोपचार पूजन करें। फिर विनीति पूर्वक अपना आग्रह सुनाकर संकल्पपूर्वक ध्यान से पाठ प्रारंभ करें। अपने अभिलषित कार्य की सिद्धि वाला पद प्रथम पढ़े; फिर ग्रंथ का पद 1 पढ़े, फिर संपुट वाले पद को पढ़े और तब ग्रंथ के पद 2 को पढ़कर फिर संपुट वाला पद पढ़े, इत्यादि इस क्रम से पद 44 तक प्रत्येक पद को संपुटित करते जाय। संपूर्ण पाठ एक आवृत्ति कही जाएगी। एक बैठक में जितनी भी आवृत्ति की जाएगी उनके लिए पूजन प्रथम ही वाला होगा।
चार आवृति प्रतिदिन करना हो तो एक मास का संकल्प करें। यदि उतने समय में मनोरथ सिद्ध न हो तो घबराएं नहीं, दो या तीन हर चार मास तक सतत पाठ ध्यानस्थ होकर करना चाहिए।
केवल 22 दिन के संपुट पाठ की विधि - प्रथम दिन संपूर्ण संपुटित पाठ की एक आवृत्ति, दूसरे दिन दो, तीसरे दिन तीन, इस प्रकार क्रमशः एक आवृत्ति प्रतिदिन बढ़ाते हुए 11 दिन पाठ करें। फिर बारहवें दिन से इसी क्रम को उलटकर 11 दिन तक पाठ करें, अर्थात बारहवें दिन 11 पाठ करें, तेरहवें दिन 10, चौदहवें दिन 6 - इस प्रकार क्रमशः एक पाठ नित्य घटाते हुये बाइसवें दिन एक पाठ करके अनुष्ठान समाप्त करें। प्रायः 22 दिन के अनुष्ठान से कार्य पूरा व निपुण हो जाता है।
पाठ आरंभ से पहले तथा पाठ के अंत में
Shri Hanuman Ji ki Aarti, कोई मंत्र, श्लोक या प्रभाव सूचक चौपाई आदि भी जप लिया करें तो उत्तम है।
श्री हनुमान बाहुक के पाठ का माहात्म्य
- इसके पाठ से- मनुष्य के शारीरिक रोगों का नाश एवं सब प्रकार की लौकिक और पारलौकिक बाधायें निवृत्त होती हैं।
- इसके पाठ से- मानस रोग; काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं रोग द्वेष आदि कलियुगकृत बाधाओं का शमन हो जाता है।
- इसके पाठ से- श्रीहनुमान जी की आराधना से भक्तों की सभी अभिलाषाएँ सिद्ध हो जाती हैं।
- इसके पाठ से केसरीनंदन की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
- काम क्रोधादि पर भी अधिकार प्राप्त होता है।
हनुमान चालीसा और हनुमान बाहुक में क्या अंतर है?
आप हनुमान बाहुक की ही तरह इस लिंक
श्री हनुमान चालीसा पाठ हिंदी में PDF पर जाकर डाउनलोड करें। हनुमान चालीसा और हनुमान बाहुक, दोनों ही भगवान हनुमान को समर्पित भक्तिमय रचनाएँ हैं, लेकिन इनके उद्देश्य और ढांचे में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। महाकवि तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा, 40 दोहों का एक भजन है जो हनुमान जी के दिव्य गुणों की प्रशंसा करता है और जीवन में सुरक्षा, शक्ति तथा बाधाओं के निवारण हेतु उनका आशीर्वाद माँगता है। इसका पाठ सामान्यतः कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है, खासकर मंगलवार और शनिवार को। दूसरी ओर, हनुमान बाहुक भी तुलसीदास की ही रचना है, जो 44 श्लोकों का एक स्तोत्र है। यह मुख्यतः शारीरिक पीड़ा और दुःख निवारण के लिए रचा गया था। मान्यता है कि तुलसीदास ने इसकी रचना स्वयं एक कष्टदायक स्थिति में की थी, और इसके पाठ से उन्हें आरोग्य लाभ हुआ। हनुमान बाहुक का पाठ विशेष रूप से दीर्घकालिक पीड़ा, गठिया या सिरदर्द जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए लाभदायक माना जाता है, और इसे अधिक प्रभावी परिणामों के लिए प्रायः मंगलवार को पढ़ा जाता है।